आज कृषि-कानूनों के ख़िलाफ़ हो रहे आंदोलन का एक महीना पूरा हो रहा है. भाजपा अपने प्रिय अमीर मित्रों व पूंजीपति प्रायोजकों का समर्थन करते हुए ऐसे रास्ते पर चल पड़ी है जो किसान, मज़दूर, निम्न व मध्यवर्ग सबके विरुद्ध जाता है.
किसान-आंदोलन भाजपा सरकार की विफलता का जीवंत स्मारक है.